मिड-स्मॉल कैप गिरावट पर SEBI चेयरपर्सन ने दी राइ :
SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों की गिरावट पर कोई चर्चा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने मार्च 2024 में इन शेयरों में संभावित बुलबुले को लेकर चेतावनी दी थी और अब दोबारा उसी का जिक्र कर रहे है।
मार्च 2024 में, SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में बढ़ती कीमतों के जोखिम पर चेतावनी दी थी। उन्होंने म्यूचुअल फंड को निवेशकों की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतने को कहा था और तनाव परीक्षण (Stress Test) अनिवार्य किया था, जिससे यह पता चले कि बाजार में गिरावट आने पर निवेशकों को पैसा निकालने में कितना समय लगेगा। अब, उन्होंने कहा कि उस समय जो जरूरी बयान था, वह दिया गया था, और फिलहाल कोई नई टिप्पणी की जरूरत नहीं है।
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मिड-स्मॉल कैप में गिरावट, निवेशकों में बढ़ी चिंता :
मिड- और स्मॉल-कैप शेयर, जो पूरे वित्त वर्ष 2024 में लार्ज-कैप से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, अब भारी बिकवाली का सामना करन पद रहे हैं। 2025 में अब तक निफ्टी स्मॉल कैप 100 इंडेक्स 18% और निफ्टी मिडकैप 100 13% गिर चुका है। दोनों इंडेक्स अपने सितंबर के उच्च स्तर से करीब 25% नीचे आ चुके हैं। यह गिरावट आर्थिक मंदी की आशंकाओं और व्यापारिक तनाव के कारण निवेशकों की बढ़ती सतर्कता को दिखाती है।
माधबी पुरी बुच एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के एक कार्यक्रम में बोल रही थीं, जहां तीन नई योजनाएं शुरू की गईं— छोटी SIP, तरुण योजना और मित्रा। इनका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को निवेश से जोड़ना, युवाओं को निवेश के लिए प्रेरित करना और पुराने या भूले हुए म्यूचुअल फंड निवेश खोजने में मदद करना है।
कुछ फंडों तक माइक्रो-SIP सीमित रखने की चिंता पर, SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग इतना परिपक्व है कि वह खुद ऐसे फैसले ले सकता है। उन्होंने कहा कि जब नए निवेशक बाजार में आते हैं, तो जरूरी है कि उन्हें सही और टिकाऊ उत्पाद मिलें। म्यूचुअल फंड सिस्टम में यह समझ पहले से मौजूद है, इसलिए SEBI को इसमें दखल देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि थीम आधारित म्यूचुअल फंड योजनाओं (Thematic Mutual Funds) की बढ़ती संख्या का कारण नियमित और नए फंड ऑफर (NFO) के बीच स्पष्ट सीमाएं न होना है। इसे नियंत्रित करने के लिए, SEBI ने नए फंड को 30 दिनों में निवेश करने का नियम लागू किया, ताकि जरूरत से ज्यादा फंड लॉन्च पर रोक लगाई जा सके।
उन्होंने म्यूचुअल फंड वितरकों की गड़बड़ियों पर भी सख्त रुख अपनाया और कहा कि अगर वितरक कोई गलती करता है, तो फंड हाउस (AMC) को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
इसके अलावा, SIP को पूरा करने पर Swiggy Money जैसे प्रोत्साहनों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि निवेश पर किसी भी तरह के निश्चित रिटर्न का वादा करना सख्त मना है। उन्होंने कहा, “कोई यह दावा नहीं कर सकता कि आपको अंत में कितना मिलेगा। ऐसे आश्वासन की अनुमति नहीं है।”
निष्कर्ष :
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि नियामक संस्था पहले ही मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में संभावित जोखिमों को लेकर आगाह कर चुकी थी और अब इस गिरावट पर अलग से चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं देख रही है।
2025 में आई तेज गिरावट से निवेशकों में चिंता बढ़ गई है, लेकिन SEBI का रुख यही संकेत देता है कि बाजार को स्वाभाविक रूप से अपने संतुलन पर लौटने देना चाहिए। म्यूचुअल फंड उद्योग को आत्मनिर्भर बनने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अलावा, SEBI ने म्यूचुअल फंड योजनाओं को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए कड़े नियम लागू किए हैं, जिससे अनियंत्रित फंड लॉन्चिंग पर नियंत्रण किया जा सके। SIP से जुड़े प्रोत्साहनों और निश्चित रिटर्न के वादों पर सख्त प्रतिबंध यह दर्शाता है कि SEBI निवेशकों को भ्रमित करने वाली रणनीतियों के खिलाफ कड़ा रूल अपनाए हुए है।
अंततः, यह घटनाक्रम निवेशकों के लिए एक सीख है कि बाजार में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक और कोई आशंका वाली बात नहीं हैं, और विवेकपूर्ण निवेश ही जोखिमों को संतुलित करने का सबसे अच्छा तरीका है।