रतन टाटा की वसीयत में मोहिनी मोहन दत्ता का नाम क्यों शामिल है?(Why is Mohini Mohan Dutta named in Ratan Tata’s will?)

रतन टाटा की वसीयत में मोहिनी मोहन दत्ता का नाम क्यों?

भारतीय उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा, जिनका पिछले साल निधन हो गया, उनकी वसीयत का खुलासा होने के बाद सभी हैरान रह गए। इसमें 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जमशेदपुर के व्यवसायी मोहिनी मोहन दत्ता को मिलने की बात कही गई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा ग्रुप के अंदरूनी लोग भी इस फैसले से चौंक गए, क्योंकि बहुत कम लोगों को दत्ता और रतन टाटा के रिश्ते के बारे में पता था।

अब हर कोई यही पूछ रहा है – मोहिनी मोहन दत्ता कौन हैं? रतन टाटा के साथ उनका क्या रिश्ता था? उन्हें इतनी बड़ी संपत्ति क्यों और कैसे विरासत में मिली?

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कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता?

मोहिनी मोहन दत्ता जमशेदपुर के एक बिजनेसमैन हैं। उनके पास स्टैलियन नाम की ट्रैवल एजेंसी थी, जो 2024 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स (ताज सर्विसेज) के साथ मिल गई

दत्ता की दो बेटियां हैं। इनमें से एक बेटी ने 9 साल तक टाटा ट्रस्ट में काम किया और इससे पहले वह ताज होटल्स में कर्मचारी थीं।मोहिनी मोहन दत्ता और उनके परिवार के पास स्टैलियन कंपनी में 80% हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी 20% टाटा ग्रुप के पास थी।वह टीसी ट्रैवल सर्विसेज के निदेशक भी हैं, जो थॉमस कुक से जुड़ी हुई कंपनी है।

रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता का रिश्ता :

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मोहिनी मोहन दत्ता रतन टाटा के करीबी सहयोगी थे और उनके परिवार को भी जानते थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दत्ता ने खुद को टाटा परिवार के करीबी सहयोगी के रूप में बताया

दत्ता और टाटा की पहली मुलाकात तब हुई जब दत्ता सिर्फ 24 साल के थे और टाटा समूह में अपनी जगह बना रहे थे। वे 60 साल से एक-दूसरे को जानते थे

दत्ता ने एक बार कहा था कि रतन टाटा ने “मुझे तैयार किया”। उनका यह रिश्ता शांत लेकिन बहुत गहरा था और दशकों तक बना रहा।

मोहिनी मोहन दत्ता खुद को रतन टाटा का दत्तक पुत्र मानते थे :

मोहिनी मोहन दत्ता सिर्फ व्यापारिक सहयोगी ही नहीं, बल्कि रतन टाटा के करीबी और भरोसेमंद साथी भी थे।

टाटा ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक, दत्ता खुद को रतन टाटा का “दत्तक पुत्र” कहते थे

हालांकि, रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और न ही किसी को कानूनी रूप से गोद लिया

रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता का गहरा रिश्ता
मोहिनी मोहन दत्ता का टाटा परिवार से बहुत करीबी रिश्ता था, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल है।

दिसंबर 2024 में रतन टाटा की जयंती के मौके पर मुंबई के NCPA में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें दत्ता खास मेहमान थे।

रतन टाटा की वसीयत में दत्ता का नाम शामिल होना चर्चा और विवाद का कारण बन गया है।

टाटा ने अपनी ज्यादातर संपत्ति एक चैरिटी ट्रस्ट को दी थी। उनकी सौतेली बहन भी अपनी विरासत का हिस्सा दान करने की योजना बना रही थीं।

रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता का गहरा रिश्ता :

मोहिनी मोहन दत्ता का टाटा परिवार से बहुत करीबी रिश्ता था, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल है।

दिसंबर 2024 में रतन टाटा की जयंती के मौके पर मुंबई के NCPA में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें दत्ता खास मेहमान थे।

रतन टाटा की वसीयत में दत्ता का नाम शामिल होना चर्चा और विवाद का कारण बन गया है

टाटा ने अपनी ज्यादातर संपत्ति एक चैरिटी ट्रस्ट को दी थी। उनकी सौतेली बहन भी अपनी विरासत का हिस्सा दान करने की योजना बना रही थीं

निष्कर्ष :

रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता का रिश्ता सिर्फ एक व्यावसायिक जुड़ाव नहीं, बल्कि गहरे विश्वास और दोस्ती पर आधारित था। 60 सालों से एक-दूसरे को जानने वाले दत्ता और टाटा के बीच एक अनकहा लेकिन मजबूत रिश्ता था।

हालांकि, रतन टाटा ने अपनी अधिकतर संपत्ति चैरिटी ट्रस्ट को दी, लेकिन मोहिनी मोहन दत्ता का नाम उनकी वसीयत में शामिल होना चर्चा और विवाद का विषय बन गया

दत्ता टाटा परिवार के करीबी माने जाते थे और खुद को रतन टाटा का दत्तक पुत्र भी कहते थे, हालांकि कानूनी रूप से ऐसा कोई संबंध नहीं था।

अब सवाल यह है कि टाटा की वसीयत का यह फैसला भविष्य में किस तरह के प्रभाव डालेगा, लेकिन इतना तय है कि मोहिनी मोहन दत्ता का नाम हमेशा टाटा की विरासत से जुड़ा रहेगा

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