“श्रीलंका ने अडानी से पवन ऊर्जा समझौता रद्द किया” 🌬️❌
श्रीलंका ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अदानी ग्रीन एनर्जी के साथ 2024 में होने वाले पवन ऊर्जा परियोजना के लिए बिजली खरीद समझौते को रद्द कर दिया। यह परियोजना द्वीप के उत्तरी प्रांत में प्रस्तावित थी|
सरकार ने बिजली खरीद समझौता तो रद्द कर दिया है, लेकिन प्रोजेक्ट अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके लिए एक समिति बनाई गई है, जो पूरे प्रोजेक्ट की समीक्षा करेगी। यह जानकारी ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
अडानी परियोजना रद्द करने की प्रतिज्ञा, श्रीलंका में चुनावी बदलाव :
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने अडानी की परियोजना को रद्द करने का वादा किया था। उनका कहना था कि सरकार को निवेश के लिए हमेशा निष्पक्ष निविदा प्रक्रिया अपनानी चाहिए। सितंबर 2024 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “अगर सरकार ने सही प्रक्रिया अपनाई होती, तो हमें यह परियोजना आधी कीमत पर मिल सकती थी।” हालांकि, इस मामले में श्रीलंका के ऊर्जा मंत्रालय से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
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अदानी समूह के मीडिया प्रवक्ता ने कहा कि श्रीलंकाई सरकार द्वारा 2 जनवरी 2025 को बिजली टैरिफ को फिर से मूल्यांकन करने का फैसला एक सामान्य समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है। यह फैसला विशेष रूप से एक नई सरकार के आने के बाद लिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टैरिफ की शर्तें उनकी वर्तमान प्राथमिकताओं और ऊर्जा नीतियों से मेल खाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अडानी श्रीलंका के हरित ऊर्जा क्षेत्र में 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें ट्रांसमिशन बुनियादी ढांचा भी शामिल है, और यह निवेश नवीकरणीय ऊर्जा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
श्रीलंका की पवन ऊर्जा परियोजना पर विवाद:
श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में मन्नार और पूनरिन में दो पवन ऊर्जा संयंत्रों के लिए $442 मिलियन की परियोजना फरवरी 2023 में मंजूर की गई थी। मई 2024 में, मंत्रिमंडल ने अदानी ग्रीन एनर्जी से 8.26 सेंट प्रति किलोवाट घंटे बिजली खरीदने का प्रस्ताव पास किया।
इस प्रस्ताव का विरोध विभिन्न समूहों ने किया। पर्यावरणविदों को डर था कि यह विमानन मार्ग को प्रभावित कर सकता है, जबकि अर्थशास्त्रियों ने इसे महंगा बताया। भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं ने भी निष्पक्ष बोलियों की प्रक्रिया की कमी को लेकर सवाल उठाए।
अदानी परियोजना पर राजनीतिक विवाद ⚡🚨
श्रीलंका के विपक्ष ने अदानी समूह पर आरोप लगाया कि वह “पिछले दरवाजे से” श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद इस परियोजना को श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
परियोजना पर “व्यापक पुनर्मूल्यांकन” 🔍⚖️
अक्टूबर 2024 में, डिसनायके सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परियोजना समझौते को “व्यापक पुनर्मूल्यांकन” की जरूरत है, जिसका मतलब है कि परियोजना पर आगे नहीं बढ़ा जाएगा। इसके बाद, विशेषज्ञों की एक समिति को परियोजना की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह श्रीलंका के विद्युत अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण मानदंडों का पालन करता है।
मामला मार्च 2025 में होगा फिर से सुना 🗓️
इस परियोजना के मामले की सुनवाई मार्च 2025 में फिर से होगी।
भारत-श्रीलंका संबंधों में चुप्पी 🤐
दिसंबर 2024 में, राष्ट्रपति डिसनायके की भारत यात्रा के दौरान इस विवादास्पद परियोजना का कोई भी जिक्र नहीं किया गया।
निष्कर्ष:
श्रीलंका में अदानी की पवन ऊर्जा परियोजना पर चल रहे विवाद ने राजनीतिक, न्यायिक और सामाजिक पक्षों में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर सरकार परियोजना के पुनर्मूल्यांकन में जुटी है, वहीं विपक्ष और पर्यावरणविदों ने परियोजना को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
हालांकि अदानी समूह ने इस परियोजना के लिए अपने निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह विवाद जल्द सुलझेगा या लंबा चलेगा। श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र में इस तरह की परियोजनाओं के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया की मांग ने इस परियोजना के भविष्य को और भी अनिश्चित बना दिया है।
आखिरकार, यह देखने वाली बात होगी कि सरकार और अदानी समूह के बीच आगामी फैसलों के बाद यह परियोजना किस दिशा में आगे बढ़ेगी और क्या यह श्रीलंका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेगी।