एचयूएल(HUL) ने मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी कैसे और क्यों खरीदी|(HOW AND WHY HUL BOUGHT 90.5% STAKE IN MINIMALIST)

एचयूएल ने मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी कैसे और क्यों खरीदी|

HUL ने मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी खरीदी:

भारत की सबसे बड़ी FMCG कंपनी, Hindustan Unilever (HUL), ने जयपुर स्थित डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्यूटी ब्रांड मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने की घोषणा की है। इस सौदे में मिनिमलिस्ट की कुल वैल्यू 2,955 करोड़ रुपये आंकी गई है।

बचे हुए 9.5% हिस्सेदारी को मिनिमलिस्ट के संस्थापक राहुल और मोहित से खरीदा जाएगा।

इस अधिग्रहण से HUL को भारत के तेजी से बढ़ते ब्यूटी और स्किनकेयर बाजार में मजबूत स्थिति बनाने का मौका मिलेगा।

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मिनिमलिस्ट की टीम एचयूएल के साथ बनेगी, समझौता आगे बढ़ेगा:

मिनिमलिस्ट ब्रांड के संस्थापक राहुल और मोहित के नेतृत्व में टीम अगले दो सालों तक इस व्यवसाय का प्रबंधन करती रहेगी। इसका मतलब है कि एचयूएल (HUL) के अधिग्रहण के बाद भी मिनिमलिस्ट की टीम अपने काम को संभालने में पूरी जिम्मेदारी निभाएगी।

एचयूएल ने कहा है कि यह अधिग्रहण दोनों कंपनियों के बीच तालमेल (synergy) और पूरक क्षमताओं (complementary capabilities) का फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि दोनों कंपनियों का अनुभव और संसाधन एक साथ मिलकर बिज़नेस को और भी मजबूत बनाए।

इस सौदे को पूरी तरह से लागू करने के लिए कुछ विनियामक अनुमोदन (regulatory approvals) और प्रथागत समापन शर्तें (customary closing conditions) पूरी करनी होंगी। इसके बाद, यह लेनदेन 2025 की जून तिमाही तक पूरा होने की उम्मीद है।

तो, कुल मिलाकर यह समझौता एचयूएल और मिनिमलिस्ट दोनों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है, क्योंकि एचयूएल को नई बाजारों में पहुंच मिलेगी और मिनिमलिस्ट को एचयूएल के बड़े नेटवर्क और संसाधनों का लाभ मिलेगा।

मिनिमलिस्ट की वृद्धि और बाजार मूल्यांकन:

मिनिमलिस्ट, जो 2018 में स्थापित हुआ था, अब तक अपनी त्वचा, शरीर और बालों की देखभाल के उत्पादों की पेशकश करते हुए तेजी से बढ़ा है। यह ब्रांड डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल के तहत काम करता है, यानी ये अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को ऑनलाइन बेचता है, जो उसे ग्राहकों से सीधा संपर्क करने का फायदा देता है।

मिनिमलिस्ट ने अपनी वृद्धि के दौरान कई बिक्री चैनलों का उपयोग किया है, जैसे ऑनलाइन वेबसाइट, ईकॉमर्स प्लेटफार्म, और अन्य डिजिटल मार्केटिंग चैनल, जिससे इसके ग्राहक आधार में तेजी से वृद्धि हुई।

पिछले फंडिंग राउंड के दौरान, मिनिमलिस्ट का कुल बाजार मूल्य लगभग 75-80 मिलियन डॉलर (लगभग 550-600 करोड़ रुपये) था, और इसने उस समय में 110 करोड़ रुपये जुटाए थे।

अब, हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिनिमलिस्ट वित्तीय निवेशकों (financial investors) के साथ बातचीत कर रहा है, जिसमें प्रेमजी इन्वेस्ट (Wipro Group का निवेश शाखा) भी शामिल है। मिनिमलिस्ट ने इस समय 2,000 करोड़ रुपये से 3,000 करोड़ रुपये के बीच अपने मूल्यांकन (valuation) की उम्मीद जताई है, जो दर्शाता है कि यह ब्रांड अब काफी मूल्यवान और आकर्षक बन चुका है।

इसका मतलब है कि मिनिमलिस्ट ने अपनी सफलता और ग्राहकों की बढ़ती मांग के चलते बहुत ही तेजी से बाजार में एक मजबूत स्थिति बनाई है। अगले कुछ सालों में इसे और भी बड़ा निवेश मिलने की उम्मीद है, जिससे यह और तेजी से विकसित हो सकता है।

एचयूएल की सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल में रणनीति:

एचयूएल (Hindustan Unilever) ने मिनिमलिस्ट का अधिग्रहण करते हुए यह दिखाया है कि वह प्रीमियम और उच्च-मार्जिन वाले उत्पादों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह कदम उसकी मूल कंपनी यूनिलीवर की वैश्विक रणनीति के अनुरूप है, जो उन बाजारों और श्रेणियों में विस्तार करना चाहती है जहाँ प्रतिस्पर्धा कम है और ग्राहकों के लिए विशेष, उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पादों की मांग ज्यादा है।

प्रीमियम उत्पादों पर फोकस:

एचयूएल ने अपने सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल (BPC) विभाग में बदलाव करना शुरू कर दिया है, ताकि वह प्रीमियम और उन्नत उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर सके। मिनिमलिस्ट का अधिग्रहण इसी दिशा में एक कदम है, क्योंकि यह ब्रांड प्रीमियम स्किनकेयर और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए जाना जाता है।

BPC का योगदान:

वर्तमान में, एचयूएल का सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल विभाग कंपनी के कुल राजस्व का लगभग 20% (पांचवां हिस्सा) और मुनाफे का लगभग 33% (तीसरा हिस्सा) देता है।
इसका मतलब है कि यह विभाग एचयूएल के बिजनेस में एक अहम भूमिका निभाता है। इसे और मजबूत करने के लिए, कंपनी ने प्रीमियम ब्रांड्स और नए ग्राहकों तक पहुँचने की रणनीति अपनाई है।

एचयूएल की रणनीति का असर:

इस अधिग्रहण से एचयूएल को तेजी से बढ़ते प्रीमियम ब्यूटी और स्किनकेयर सेगमेंट में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह कदम कंपनी को नए ग्राहकों तक पहुँचाने और अपने राजस्व और मुनाफे को और बढ़ाने में मदद करेगा।

इस तरह, यह अधिग्रहण एचयूएल के दीर्घकालिक विकास और बाजार नेतृत्व की रणनीति का एक हिस्सा है।

भारत के सौंदर्य बाजार का प्रतिस्पर्धी परिदृश्य:

भारत का सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल बाजार (beauty and personal care market) इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है और अब यह अधिक प्रतिस्पर्धी हो चुका है। कई नए और स्थापित ब्रांड्स इस बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं।

प्रमुख प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स:

आजकल, लोरियल, मामा अर्थ और नायका जैसे ब्रांड्स भारतीय बाजार में मजबूत स्थिति बना चुके हैं। ये ब्रांड्स अब सामूहिक रूप से 33% बाजार हिस्सेदारी रखते हैं। इसका मतलब है कि इन ब्रांड्स का मार्केट में एक तिहाई हिस्सा है, जो इनकी लोकप्रियता और ग्राहक आधार को दिखाता है।

भविष्य में बदलाव:

रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स और पीक XV पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक यह हिस्सेदारी 42% तक बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि इन प्रमुख ब्रांड्स की ताकत और बाजार में पकड़ और मजबूत हो सकती है।

इसके विपरीत, पारंपरिक और बड़े खिलाड़ी जैसे एचयूएल (HUL) और प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट कहती है कि इन कंपनियों की हिस्सेदारी में 900 आधार अंक (basis points) की कमी हो सकती है, और उनकी हिस्सेदारी घटकर 58% रह सकती है।

इसका असर:

इस बदलाव से यह साफ होता है कि भारतीय सौंदर्य बाजार में प्रतिस्पर्धा और भी बढ़ने वाली है। जहां एक ओर नए ब्रांड तेजी से विकास कर रहे हैं, वहीं पारंपरिक कंपनियों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना होगा ताकि वे अपनी पकड़ बनाए रख सकें।

इसके अलावा, नई कंपनियों के प्रीमियम और अधिक विशिष्ट उत्पादों को ग्राहकों द्वारा पसंद किया जा रहा है, जिससे पारंपरिक ब्रांड्स को कड़ी चुनौती मिल रही है। एचयूएल जैसी कंपनियां इस प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए प्रीमियम और विशेष उत्पादों पर अधिक ध्यान दे रही हैं, जैसा कि मिनिमलिस्ट का अधिग्रहण इसकी एक मिसाल है।

यह बाजार का प्रतिस्पर्धी परिदृश्य आने वाले वर्षों में और भी दिलचस्प बनने वाला है।

निष्कर्ष:

एचयूएल का मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी का अधिग्रहण भारत के तेजी से बढ़ते सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल बाजार में उसकी मजबूत स्थिति बनाने की रणनीति का हिस्सा है। प्रीमियम और उच्च-मार्जिन वाले उत्पादों पर फोकस करके, एचयूएल पारंपरिक बाजार हिस्सेदारी में गिरावट का मुकाबला कर रहा है और नए उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहा है।

हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लोरियल, मामा अर्थ, और नायका जैसे ब्रांड्स की उभरती ताकत से बाजार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। इस बदलाव से पारंपरिक और नए खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा और नवाचार बढ़ने की उम्मीद है, जिससे ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं मिलेंगी।

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