स्टॉक्स में गिरावट के 3 मुख्या कारन क्या है|
भारतीय इक्विटी सूचकांकों के लिए मंगलवार का दिन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। निफ्टी 50 और सेंसेक्स दोनों ही तेजी के साथ खुले, लेकिन जल्द ही तेज बिकवाली के कारण नीचे आ गए। हालांकि, एक घंटे के भीतर ही दोनों सूचकांक फिर से हरे निशान में कारोबार करने लगे।
सेंसेक्स ने दिन के निचले स्तर से लगभग 1,200 अंक की वृद्धि की, लेकिन यह स्तर 15 मिनट तक ही बरकरार रह सका। इसके बाद, यह लगभग 1,100 अंक गिर गया। यह उतार-चढ़ाव भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में देखे गए उतार-चढ़ाव के रुझान के अनुरूप है।
निफ्टी 50 में मंगलवार को भारी अस्थिरता देखी गई। यह 23,150 से नीचे टूटकर 23,111.10 पर पहुंच गया, जो एक इंट्रा-डे निचला स्तर है। इसका मतलब है कि निफ्टी 50 में निवेशकों को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद कम हो गई है।
इसी के साथ, भारत VIX, जो भारत का अस्थिरता सूचकांक है, 4.46% बढ़कर 17.15 हो गया। यह बढ़ोतरी बताती है कि बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है और निवेशकों को सावधानी से निवेश करना चाहिए।
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निफ्टी 50 में गिरावट: ये शेयर सबसे अधिक प्रभावित हुए:
निफ्टी 50 में मंगलवार को गिरावट देखी गई, जिसमें कुछ प्रमुख शेयरों ने सबसे अधिक योगदान दिया। इनमें से कुछ प्रमुख शेयर हैं:
- आईसीआईसीआई बैंक
- रिलायंस इंडस्ट्रीज
- ट्रेंट
- एसबीआई
- एमएंडएम
इन शेयरों की कीमतों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जिससे निफ्टी 50 की गिरावट में सबसे अधिक योगदान हुआ।
सेक्टोरल इंडेक्स में गिरावट
निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और रियल्टी सेक्टोरल इंडेक्स में 3% की गिरावट देखी गई, जो सबसे अधिक गिरावट वाले सेक्टर थे।
सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव: अस्थिरता का क्या कारण है?
रेलिगेयर ब्रोकिंग के रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा के अनुसार, सेंसेक्स में हाल की अस्थिरता का मुख्य कारण डेरिवेटिव है, न कि ट्रम्प की नीतियाँ। उन्होंने कहा कि सेंसेक्स के साप्ताहिक अनुबंध 21 जनवरी को समाप्त हो जाएंगे, जो अस्थिरता का कारण बन रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई की बिक्री जारी:
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिक्री जारी है। जनवरी में एफआईआई ने 50,912.60 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है, जो एक बड़ी बिक्री है। पिछले 7 कारोबारी दिनों में से 6 दिनों में एफआईआई शुद्ध विक्रेता रहे हैं। यह बिक्री भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाल रही है।
डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में आर्थिक निर्णयों को लेकर अनिश्चितता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के अनुसार, ट्रम्प के उद्घाटन भाषण में आप्रवासन को लेकर स्पष्टता थी, लेकिन टैरिफ के मुद्दे पर अनिश्चितता बनी हुई है।
विजयकुमार का मानना है कि कनाडा और मैक्सिको पर संभावित 25% टैरिफ का सुझाव यह दर्शाता है कि टैरिफ बढ़ाने की नीति क्रमिक रूप से लागू की जाएगी। इसके अलावा, ट्रम्प के कार्यालय संभालने के बाद यूरोपीय बाजार में थोड़ी बढ़त देखी गई है।
यह अनिश्चितता भारतीय शेयर बाजार पर भी प्रभाव डाल सकती है, इसलिए निवेशकों को सावधानी से निवेश करना चाहिए।
निष्कर्ष:
भारतीय इक्विटी सूचकांकों के लिए मंगलवार का दिन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। निफ्टी 50 और सेंसेक्स दोनों ही तेजी के साथ खुले, लेकिन जल्द ही तेज बिकवाली के कारण नीचे आ गए। हालांकि, एक घंटे के भीतर ही दोनों सूचकांक फिर से हरे निशान में कारोबार करने लगे।
निफ्टी 50 में मंगलवार को भारी अस्थिरता देखी गई। यह 23,150 से नीचे टूटकर 23,111.10 पर पहुंच गया, जो एक इंट्रा-डे निचला स्तर है। इसका मतलब है कि निफ्टी 50 में निवेशकों को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद कम हो गई है।
सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण डेरिवेटिव है, न कि ट्रम्प की नीतियाँ। सेंसेक्स के साप्ताहिक अनुबंध 21 जनवरी को समाप्त हो जाएंगे, जो अस्थिरता का कारण बन रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई की बिक्री जारी है। जनवरी में एफआईआई ने 50,912.60 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है, जो एक बड़ी बिक्री है। पिछले 7 कारोबारी दिनों में से 6 दिनों में एफआईआई शुद्ध विक्रेता रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में आर्थिक निर्णयों को लेकर अनिश्चितता है। ट्रम्प के उद्घाटन भाषण में आप्रवासन को लेकर स्पष्टता थी, लेकिन टैरिफ के मुद्दे पर अनिश्चितता बनी हुई है। यह अनिश्चितता भारतीय शेयर बाजार पर भी प्रभाव डाल सकती है, इसलिए निवेशकों को सावधानी से निवेश करना चाहिए।