जीएसटी युग में घरेलू स्थानांतरण मूल्य निर्धारण: क्या आप तैयार हैं|
यह मुद्दा आयकर अधिनियम की धारा 92बीए(i) के हटाने से संबंधित है, जो धारा 40ए(2)(बी) के तहत किए गए भुगतानों को बाहर करने के लिए निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन से संबंधित थी। इस धारा को 1.4.2019 से हटा दिया गया था, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि हटाने से पहले किए गए कार्यों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
किसी क़ानून में किसी विशेष प्रावधान को हटाने से पहले किए गए कार्य नहीं बचेंगे, और इसलिए किसी क़ानून को निरस्त करने या किसी प्रावधान को हटाने का सामान्य प्रभाव इसे क़ानून की किताब से पूरी तरह से मिटा देना है जैसे कि यह कभी पारित ही नहीं हुआ था।
इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णय हुए हैं, जिनमें KOHL4PUR CANESUGAR WORKS LTD का मामला भी शामिल है। इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि क़ानून को निरस्त करने या किसी प्रावधान को हटाने का प्रभाव इसे पूरी तरह से मिटा देना है जैसे कि यह कभी पारित ही नहीं हुआ था।
इसलिए, आयकर अधिनियम की धारा 92बीए(i) के हटाने से पहले किए गए कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, और यह मुद्दा अब प्रासंगिक नहीं रह गया है।
आयकर अधिनियम की धारा 92बीए के खंड (i) को 1 अप्रैल 2017 से हटा दिया गया था। इसका मतलब है कि यह प्रावधान कभी भी कानून में नहीं था और इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
इसलिए, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने गोल्डब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में यह निर्णय दिया है कि धारा 92बीए के खंड (i) को हटाने से पहले किए गए कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
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जीएसटी के युग में, जहां ट्रायल बैलेंस राज्य-वार बनाए रखा जाता है, आयकर अधिकारी घरेलू हस्तांतरण मूल्य निर्धारण के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसका कारण यह है कि कम लाभ दिखाने वाली इकाइयों के खर्चों को जोड़ने से घरेलू हस्तांतरण मूल्य निर्धारण में विसंगति हो सकती है।
इसके अलावा, कई निर्णयों में यह माना गया है कि केवल कम लाभ ही खाते की पुस्तकों में दिखाए गए लाभ को स्वीकार न करने के लिए एक वैध मानदंड नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि:
- विभिन्न इकाइयों की लाभप्रदता में अंतर
- विभिन्न इकाइयों के खर्चों में अंतर
- विभिन्न इकाइयों के राजस्व में अंतर
इसलिए, आयकर अधिकारी घरेलू हस्तांतरण मूल्य निर्धारण के लिए जीएसटी के ट्रायल बैलेंस का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
आयकर अधिकारी खाते की पुस्तकों को अस्वीकार करने के लिए निम्नलिखित कारणों का उपयोग कर सकते हैं:
- उच्च मूल्यह्रास के कारण नई प्रौद्योगिकियों का स्थापित होना
- उच्च श्रम, ईंधन, बिजली, आदि खर्च
- खाते की पुस्तकों में विसंगति
- राजस्व की कम रिपोर्टिंग या अधिक रिपोर्टिंग
- फर्जी या अत्यधिक खर्च के दावे
इन कारणों को विभिन्न मामलों में बरकरार रखा गया है, जैसे कि सीआईटी बनाम पूनम रानी, सीआईटी बनाम मोहम्मद उमर, और ए.सी.आई.टी. बनाम मेसर्स प्राग इंडस्ट्रीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड।